क्या आजाद हो तुम?

आजाद हो तुम ,
ये साबित करना कल ,
के देशभक्त हो तुम ,
हाँ आजाद हो तुम !

राष्ट्र गान जब बजता है
तो खड़े होते हो तुम?
हाँ एक दिन के लिए ही सही ,
पर झंडा खरीदते हो तुम?
हाँ आजाद हो तुम !

भारतीय सैनिकों पर उँगलियाँ उठाकर ,
खुद को देशभक्त बताते हो तुम ,
जब आतंकी कोई मारा जाता है ,
तो सवाल उठाते हो तुम ,
हाँ हाँ आजाद हो तुम !

नदामत मंत्री को गाली देते हो ,
बेखौफ उँगलियाँ उठाते हो तुम ,
कोरिया से नहीं हो शायद ,
इसलिए इतनी मनमानी कर रहे हो तुम,
आज भी आजादी का हक माँगते हो ?
हाँ इस हक के लिए भी आजाद हो तुम!

वो कांपती आवाज में पूछती है ,
क्यूँ  इतना आजाद हो तुम ?
हर शख्स को वो एक जैसा समझने लगी है ,
क्यूँ होते जा रहे हैवान हो तुम?
माफ करना पूछ रहा हूँ ये सब ,
पर सुना है कि आजाद हो तुम!

पतंग दिख रहा है आसमा मे यूँ,
काटते जा रहे हो पंछियों को क्यूँ?
रोक लगी है चीनी मांझे पर,
बे रोक-टोक उड़ाते जा रहे हो क्यूँ ,
कहते हैं क्यूँ सवाल जवाब कर रहे हो तुम ,
आजाद है हम आजाद हो तुम!

खुली हवा में साँस लेकर भी ,
क्यूँ जवानों के मुकाबिल शिकायतें कर रहे हो तुम,
चीख पुकार सुनकर मरने वालों की ,
क्यूँ मौन व्रत धारण कर चुके हो तुम ,
हाँ कहने को शर्मसार हूँ मैं
कि आजाद हो तुम!

क्यूँ अजनबी से प्यार करके
इतना मुस्करा रहे हो ,
इजहार करने से डरे जा रहे हो क्यूँ
क्या एकतरफा प्यार कर रहे हो तुम
हाँ इस आग में जलने के लिए आजाद हो तुम!

क्यूँ जातपात भेदभाव कर रहे हो तुम ,
क्या राजनीति की अज़मत से परे रहे हो तुम,
ब्राह्मण क्षत्रिय राजपूत हिन्दू मुसलमान सिख खुद को बतलाकर,
क्यूँ भारतीयता की रिवायत का गला घोट रहे हो,
क्या ऐसी आजादी जी रहे हो तुम!

वो सीने पर पत्थर गोलियाँ खा रहे हैं,
क्यूँ आतंकवाद को पनाह दिए जा रहे हो तुम,
अलग झंडा होने के बावजूद ,
क्यूँ तिरंगा फहराने से कतरा रहे तुम ,
माफ करना आतंकवादियों ,
पर क्यूँ शांत कश्मीर में आतंक फैलाना चाह रहे हो तुम ,

बन्दूक दिखाकर दहशतगर्दी करते हो तुम,
किसी बहन को जब छेड़ रहा होता है कोई,
तोह तशरीह कर रहे होते हो तुम,
अहबाब मानकर ना सही पर इज्जत लूटने से बचा लिया करो भाई ,
प्यार करते रहे हो जिनसे प्यार करते रहो,
पर प्यार का खिलवाड़ ना किया करो तुम,
किसी लड़की की आजादी का भी ख्याल रख लिया करो तुम,
हाँ मान लिया कि आजाद हो तुम!

बेवजह सवाल जवाब किये जा रहा हूँ मै,
लिखने को जी कर रहा है लिख रहा हूँ मैं
पागलों की तरह चीख रहा हूँ मैं
तुम्हारी तरह खुले आसमान में नही हूँ मै,
दिमाग की कैद में रहकर आजादी लिख रहा हूँ मै
हाँ जानना चाहता हूँ मैं
जो जवाब किर्चों में दे सको अगर तुम,
क्या सचमुच आजाद हो तुम?

गोड़से को नमन किये जा रहा हूँ ,
भगतसिंह राजगुरु सुखदेव को याद किये जा रहा हूँ,
सलामी आम्बेडकर ज्योतिबा फूले को दिए जा रहा हूँ,
माफ करना गांधी-नेहरू परिवार को छोड़कर ,
मै हर देशभक्त को श्रद्धांजलि दिए जा रहा हूँ।।

७१वें स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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